Tuesday 22 January 2013

श्रीमती सोनिया गांधीजी को जनलोकपाल के बारे में पत्र...


सेवा में,
आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधीजी,
अध्यक्ष, राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी,
10 जनपथ, नई दिल्ली.

महोदया,
दो दिन पहले आपने वक्तव्य किया है कि, "हमने जन लोकपाल बिल पास किया है।" मेरे साथ देश की जनता यह जानना चाहती है कि अगर जनलोकपाल बिल पास किया है, तो क्या उसमें सी.बी.आई और सी.वी.सी को स्वायत्तता दी गई है ? अगर नहीं दी हो तो देना जरुरी है। जब तक सी.बी.आय. और सी.वी.सी. को स्वायत्तता नहीं मिलेगी तब तक भ्रष्टाचार को रोक नहीं लगेगी। सरकारी दफ्तर के क्लास एक से लेकर चार तक अ, ब, क, ड सभी वर्ग के अधिकारी, कर्मचारी क्या जनलोकपाल के दायरे में आये हैं ? सरकारी दफ्तर के सभी अधिकारी कर्मचारी जब तक सिर्फ सरकार के अधीन हैं, तब तक भ्रष्टाचार नहीं मिट सकता ऐसी देशवासियों की धारणा हैं। क्यों कि नीचे से ले कर ऊपर तक कई जनप्रतिनिधी और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की चैन (Chain) बन गई हैं। बिना रिश्वत दिये जनता का कोई काम नहीं होता।
      आपने यूं भी कहा है कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कडे कानून बनाना जरुरी है। जनता भी यही चाहती है कि जब तक देश में कडे कानून नही बनेंगे जिनमें कि भ्रष्टाचारियों को मृत्युदण्ड, उम्रकैद, आजीवन सश्रम कारावास जैसी सजा का प्रावधान नहीं है, जब तक भ्रष्ट लोगों को कानून का डर नही लगेगा, तब तक भ्रष्टाचार की गुनहगारी कम नहीं होगी। जनतंत्र में ऐसे कडे कानून लोकसभा और विधानसभा में बनते हैं। लेकिन जनतंत्र में जरुरी है कि कानून का मसौदा बनाते समय जनता में से सुयोग्य अनुभवी लोग और सरकार के लोग मिल कर मसौदा बनाएं।
      आज जब कानून का मसौदा सरकार के लोग बनाते हैँ, तब सम्भवतः जनता के अनुभवी लोगों का सहभाग न होने के कारण कडे कानून नहीं बन पाते। जनतंत्र में जन सहभागिता को ले कर कानून का मसौदा बनाना जरुरी है। जनलोकपाल का सशक्त कानून बनाने के लिये सरकार और सिवील सोसायटी मिल कर मसौदा बनावे इस लिये 5 एप्रिल 2011 में दिल्ली के जंतर मंतर पर जन आंदोलन हुआ था, जिसमें करोडो लोग शामिल हुये थे। जनता के दबाव के कारण आपकी पार्टी की सरकारने सरकार के पांच मंत्री और सिविल सोसायटी के पांच लोगों की मिल कर एक मसौदा समिती भी बनाई थी।
      सरकार ने एक राजपत्र भी निकाला था। इस मसौदा समिती की तीन महिनों तक मीटिंगे भी चली। लेकिन उस मसौदा समिति का क्या निर्णय हुआ यह अभी तक जनता को पता नहीं चला। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार विकेंद्रीकरण के पक्ष में नहीं है। जब तक सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा।
      आपने यह भी कहा है कि सत्ता एक जहर है। अगर सत्ता जहर है तो हर पक्ष और पार्टी में सत्ता के लिये इतनी जबरदस्त होड क्यूं लगी है ? क्यों कि सत्ता जहर नहीं, बल्कि जैसे कई प्रकार की नशा होती है, वैसे ही एक नशा है, ऐसा हमें और जनता को लगता है।
        इसका एक उदाहरण यह है कि जनलोकपाल का आंदोलन रामलिला मैदान में तेरह दिन तक चला था। देश की जनता आंदोलन में करोडों की संख्या में रास्ते पर उतर आई थी। आजादी के 65 साल में पहली बार इतनी तादाद में जनता रास्ते पर उतर आई थी। खास कर करोडों युवक रास्ते पर उतर गये थे। लेकिन किसीने एक पत्थर तक नहीं उठाया था। अगर सत्ता जहर होता तो सरकार की तरफ से जनता की मांगे मानी जातीं। लेकिन 13 दिन तक देश में आंदोलन चले थे फिर भी सरकार ने जनता को प्रतिसाद नहीं दिया। कारण वह जहर के नहीं बल्कि सत्ता की नशा में थी ऐसा अगर कहें तो गलत नहीं होगा।
                दिल्ली में एक छात्रा पर सामूहिक बलात्कार हुआ और देश भर में करोडों युवक आंदोलन के लिये रास्ते पर उतर गये थे। इस संबंध में महिलाओं पर बलात्कार करनेवालों को फांशी या उम्रकैद जैसी कडी सजा देने वाला कानून यदि सरकार पहले से ही बनाती तो गुनाह करने वालों को कुछ तो डर होता था। ऐसी घटना नहीं हो पाती। लेकिन सरकार न तो कडे कानून बनाती हैं और जो पहले से बने हुए हैं उन कानूनों का सख्ती से अमल नहीं करती, यह भी तो सरकार ही का दोष है। इस दोष को हटाना भी तो सरकार का कर्तव्य है। हर समय जनता आंदोलन करे और फिर सरकार कानून बनाए यह कोई तरिका नहीं है।
     सम्रति में सत्ता मंत्रालय में केंद्रित हुई है। जब तक सत्ता केंद्रित है, तब तक भ्रष्टाचार को रोकने में सही सफलता नही मिलेगी। इस लिये स्व. राजीव गांधीजी ने 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन की बात की थी। गांव में ग्रामसभा, शहर में नगर परिषद, नगर पालिका, महापालिका में वार्ड सभा को और मोहल्ला सभा को पुरे अधिकार देना जरुरी है। विकास कार्य के लिये जो पैसा गांव और शहरो में जाता है उसे खर्च करते समय ग्रामसभा, वार्ड सभा, मोहल्ला सभा की अनुमति ले कर ही खर्च होना जरुरी है। 26 जनवरी 1950 में जनता देश की मालिक बन गई है, सरकारी तिजोरी में जमा होनेवाला पैसा जनता का है, इस लिये जरुरी है कि जनता का पैसा कहाँ खर्च हो रहा है इसकी जानकारी जनता को मिलनी चाहिए। जनतंत्र में ग्रामसभा, वार्ड सभा और मौहल्ला सभा की अनुमति से पैसा खर्च होना जरुरी है। उनकी अनुमति के बगैर अपनी मनमर्जी से अगर पैसा खर्च होता हो तो जनता उन ग्रामपंचायत सदस्यों को, महापालिका कार्पोरेटर को बरखास्त कर सकेगी, ऐसे कडे प्रावधान कानून में होंगे तो ही जनता के पैसे खर्च करने में पारदर्शिता आयेगी और योजनाओं में पनपे भ्रष्टाचार को रोक थाम लगेगी। आज मंत्रालय में मंत्री, जनप्रतिनिधी, अधिकारियों ने सत्ता को अपने ही हाथ में केंद्रित रखने के कारण योजनाओं में भ्रष्टाचार बढता ही गया है। सत्ता का विकेंद्रिकरण होना बहुत जरुरी है।
        जनता कई सालों से सत्ता में विकेंद्रिकरण की माँग कर रही है, लेकिन अगर आपकी पार्टी की सरकार सत्ता विकेंद्रित करने के लिये तैयार नहीं है, तो कैसे भ्रष्टाचार को रोकथाम लगेगी?  आपने भ्रष्टाचार से लडने की बात की है। भ्रष्टाचार के विरोध में वह लडाई सत्ता को विकेंद्रित किये बिना कैसे लडेंगे ?
        आपकी सरकार को अगर भ्रष्टाचार को मिटाने की मन से इच्छा है तो सशक्त जनलोकपाल के साथ साथ राईट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा, वार्डसभा, मोहल्ला सभा को पुरे अधिकार देने वाला सशक्त कानून बनाना होगा। दफ्तर दिरंगाई को हटाना हो तो एक टेबल का पेपर सात दिन के अंदर अगले टेबल पर जाना चाहिये। यदि ऐसा हो तो रिश्वत देने की नौबत ही नहीं आयेगी। जनता की सनद बनाई जाये। ऐसे कडे कानून अगर बन जाएं और उन कानूनों पर सही अमल हो, कानून का पालन ना करने वालों को कडी सजा का प्रावधान हो तो ""भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना साकार होगा ''। कडे कानून बनाये जाएं इसलिए हम देढ साल तक देश के हर राज्य में जा कर जनता को जगाने का प्रयास करेंगे। जनता संगठित हो कर अहिंसा के मार्ग से देश भर यदि आंदोलन करती है तो यह भी जनतंत्र, लोकशाही को मजबूत करने का ही मार्ग है। देश में लोकशिक्षा, लोकजागृति के लिये हम बिहार के महात्मा गांधी मैदान, पटना से, जहां से महात्मा गांधीजी ने, जयप्रकाश नारायण जी ने आंदोलन की शुरुआत की थी, वहीं से शुरुआत कर रहे हैं। हमारा आंदोलन किसी पक्ष-पार्टी के विरोध में नहीं है। जनतंत्र की मजबूती के लिये संविधान ने जनता को जो अधिकार दिये है उनमें आंदोलन करने का भी अधिकार है। यह आंदोलन उसीका एक हिस्सा है। आप पार्टी के माध्यम से और हम लोग आंदोलन के माध्यमसे जनतंत्र को मजबूत करेंगे, आम आदमी को आधार देंगे ता कि जीना आसान हो। साथ ही साथ अमीर गरीब में फासला कम हो, आर्थिक विषमता कम हो और जनता को प्रजातंत्र का अनुभव हो।
धन्यवाद।

भवदीय,
               
कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे.
रालेगणसिद्धी.
22 जनवरी 2013.


5 comments:


  1. Laton Ke Bhoot Baaton se nahin Mante Anna Ji,

    Britishers left India no because of Gandhiji( with due respect to Gandhi ji for his movement), but because of Netaji, who could enter India with his INA, organised single handedly.

    There has to be drastic Change in our Democractic System. Netaji Raja banane ke liye Black Money ka istemal karte hain. Phir khoob lootate rahte hain desh aur desh ki janata ko.

    Election ke baad, sab Dhoti Pahne, Chatai Par Soyen, 2nd Class mein Safar Karen, Non-AC Maruti Kar mein Safar Karen, Koi Subsidy Na Len, tab ham mane ki ye neta Garibon Ki Seva ka Jajba Rakhte Hain. Varna Sab Jhoot Hai.

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  2. Annaji kitne bhi kanoon bane jab tak doshiyo ko saja nahi mil jati un kanoono ka kuch bhi upyog nahi hai, aaj suresh kalmadi aur A. Raja khuleaam ghum rahe hai agale sal wo phir mantri bhi ban jayenge. jab tak aise doshiyo ko saja nahi mil jati tab tak kuch nahi ho sakta, ek ko saja yane ki 10 gunhegaro par rok par dubhagya se hamari nyay vyavastha itani kamjor aur susth hai ki kisi ne mukadama bhi dayar kiya to usaka result aane tak wo mar chuka hota hai, aise insaf ka kya matlab hai. Annaji aap se darkhawast hai ki nyay vyavastha ko sudharne ke liye bhi kadam uthaye

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  3. 23 / 01 /2013. आरटीआय विधेयक कलम ४ के सफल संचालन हेतू यह विनम्र आग्रह है कि :--
    " आरटीआय कलम ४ अनुसार हरेक सरकारी कार्यालय की कागजी कैश-बुक के लिखे पृष्ठ को हर दिन सार्वजनिक करे. यह बंधनात्मक हो | "

    स्मरणीय :-- (१) आरटीआय विधेयक कलम ४ अंतर्गत " सभी शासकीय सुचनाओ / व्यवस्थाओ की जानकारी स्वयं होकर शासन - प्रशासन ने आम जनता को बिना किसी मांग के आधार पर सार्वजनिक करना है ।"
    (२) जब खर्च का ब्योरा दिया जाना आरटीआय कानून के अंतर्गत न्यायोचित है और मांग के आधार पर यह दिया जाता है फिर आरटीआय के कलम ४ अंतर्गत कैश-बुक में उल्लेखित खर्च / विवरण को प्रतिदिन सार्वजनिक करना गलत क्यो ? यह कैसे रोका जा सकता है ? इस नियम को समग्र रूप से लागू क्यों नहीं किया गया है ? नियम का उल्लंघन क्यों ?
    धन्यवाद.
    भवदीय,
    चंद्रकांत वाजपेयी { जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता } औरंगाबाद.
    ईमेलं :-- chandrakantvjp@gmail.com +91 9730500506 .

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    1. इस सवाल को सरकार से पूछना चाहिए। बेचारे अण्णा हज़ारे अकेले क्या-क्या सवाल सरकार से पूछेंगे।

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  4. congress parti ne neeti badlani shuru kar di hae .
    1. isliye jab tak AAM adami ki party ko pura support nahi milta tab tak kuchh nahi ho sakta .
    2. Anna ji or unki puri team ke sadsyon ko or kejriwal ji ko sath me kam karna chahiye.
    anyatha mujhe to nahi lagta hae ki kuchh ho sakta hae kyunki congress neeti desh ko khatra bhi hae vah isliye ki ki inke pass paisa bahut aa gaya hae yah kabhi bhi kuchh bhi kar sakte hae aisa mujhe lagta hae ...?

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