Sunday 30 March 2014

जनतंत्र के लिए आजादी की दुसरी लडाई...

देश मे जनता का जनता ने जन सहभाग से चलाया जा रहा तंत्र,
 जनतंत्र के लिए आजादी की दुसरी लडाई...”
 स्वाधीनता के 66 वर्षों में देश में पनप रहे भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी, लूट, आतंकवाद,
व्यभिचार को बढावा देने की ज़िम्मेदार कई पक्ष-पार्टियॉं ही हैं।

भारत के संविधान में कहीं पर भी पक्ष-पार्टी का नामोल्लेख नहीं है। जैसा कि संविधान में बताया गया है, उस अनुसार भारत का वासी हर कोई नागरिक अठरा साल के बाद चुनाव लडने के काबिल है। संविधान में कहीं पर भी समूह का ज़िक्र नहीं किया गया है। अठरा साल के बाद हर नागरिक वैयक्तीक चुनाव लड सकता है, एैसा संविधान कह रहा है।
सन्‌ 1857 से ले कर सन्‌ 1947 तक के नब्बे वर्षों के संघर्ष भरे कालखंड में शहीद भगसिंग , सुखदेव, राजगुरु जैसे अनगिनत देश भक्तों ने ज़ुल्मी अंग्रेज़ों को इस देश से खदेड कर स्वाधीनता लाने हेतू तथा इस देश में लोगों का, लोगों द्वारा, लोग सहभाग से चलाया हुआ लोकतन्त्र क़ायमकरने हेतु अपने प्राणों का बलिदान किया।
 अंग्रेज़ तो सन्‌ 1947 में यहॉं से चले गये मगर देश मे लोक तन्त्र नहीं आ पाया। बल्कि यूं कहिये कि पक्ष-पार्टी तन्त्र ने लोक तन्त्र को इस देश में आने ही नहीं दिया। लोक तन्त्र यहॉं पर नहीं आ पावे इस लिये क्या क्या हुआ?
 सन्‌ 1947 में अंग्रेज़ गये और स्वाधीनता मिली, देश आज़ाद हुआ। सन्‌ 1949 में हमारा संविधान बन गया। उस संविधान में कहीं पर भी पक्ष-पार्टी के बारे में उल्लेख नहीं है। चुनाव के लिए जो उम्मीदवार खडा है उनमें से चरित्रवान प्रत्याशी को चुन कर जनता उसे संसद में भेजें ऐसा हमारे संविधान का प्रावधान है। 26 जनवरी 1950को देश में प्रजासत्ताक दिन मनाया गया देश मेे प्रजा की सत्ता कायमहुई। जनता इस देश की मालिक बनी। उसी दिन देश के सभी पक्ष-पार्टियों को बर्खास्त हो जाना चाहिए था। महात्मा गांधी जी ने कॉंग्रेस जनों से अपील भी की थी कि, कॉंग्रेस पार्टी को बर्खास्त कर देना चाहिये। संविधान के मुताबिक चरित्रवान्नागरिकों को चुनावी मैदान के रास्ते से चुन कर संसद में भेजने का दायित्व जनता का था। सन्‌ 1952 में देश में पहली बार चुनाव हुए। पक्ष और पार्टियों का बर्खास्त होना तो दूर, उलटे पक्ष-पार्टियों ने गैर संवैधानिक तरीके से चुनाव लडे और गैर संवैधानिक पद्धति से पक्ष-पार्टियों के समूह संसद में जा बैठे। संसद के भीतर और बाहर भी पक्ष-पार्टियों के ताक़तवर समूह बनते रहे। सत्ता और सम्पत्ति की लालसा में एक दूजे पर आरोप प्रत्यारोप करने का सिलसिला कायमहुआ। पक्ष-पार्टियों के इन ताक़तवर समूहों ने लोगों के, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाये हुए लोक तन्त्र को देश में पनपने ही नहीं दिया। न केवल पनपने ही नहीं दिया बल्कि पक्ष-पार्टियों के इन समूहों ने लोक तन्त्र को नेस्तो नाबूद कर दिया। सर्वत्र आज पक्ष और पार्टी शाही का बोल बाला है। लोगों के, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाये हुए लोक तन्त्र का देश मे अस्तित्व ही नहीं रहा। लोक सभा वास्तव में देखा जाय तो लोगों की होनी चाहिए। संविधान में बताये गये तरीके से कोई भी भारत वासी व्यक्ति अपने निजी तौर पर यदि चुनाव लडता और यदि जनता ऐसे चरित्रवान्प्रत्याशी को चुन कर संसद में भेजती और ऐसे व्यक्तिगत तौर पर चुने गये प्रतिनिधि संसद में होते तो सम्भवत: वह सभा लोक सभा कहलाने के लायक हुई होती। वहीं पर आज की लोक सभा बजाय लोगों के, पक्ष-पार्टियों की सभा बन कर रह गई है। अधिकांश सांसद लोगों का नहीं बल्कि पक्ष और पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे जनतंत्र कैसे कह सकते है।
 गैर संवैधानिक तरीक़े से पक्ष-पार्टियों ने चुनाव लडने के कारण संसद के भीतर और बाहर भी कई सारे समूह बन गये जिसके फलस्वरूप देश में भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी, लूटख़सोट, आतंक वाद को बढावा मिला। संवैधानिक तरीक़े से यदि चरित्रवान्व्यक्ति अगर चुन कर गये होते तो जिस क़दर आज सर्वव्यापी बन गया है, यक़ीनन भ्रष्टाचार नहीं बढ पाता। जनताने चुनकर भेजा व्यक्ती का समुह नही बनता संसद मे और संसद के बाहर समुह बन गया इस कारण भ्रष्टाचार बढ गया। केवल सत्ता की अभिलाषा के कारण इन समूहों में संसद में और संसद के बाहर भी भिडन्त होती दिखती है। ऐसे दृष्य लोक शाही की गरिमा को कलंकितकरते हैं। येन केन प्रकारेण सत्ता को हासिल करने के लिए पक्ष-पार्टियों के समुह में होड सी लग गई है। पक्ष-पार्टियों के कई सारे समूह कई भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू, व्यभिचारियों को टिकट देते हैं क्यों कि गुण्डागर्दी के कारण उनका अपना वोट बैंक बना होता है। ऐसे दाग़ियों को समूह की ताक़त और धन शक्ति के बल पर कई पक्ष-पार्टियॉं चुनाव जितवाती हैं और इन भ्रष्टाचारियों का, गुण्डों का, लुटारुओं का लोक शाही के पवित्र पावन मन्दिर में जाने का मार्ग प्रशस्त कराती हैं। यही वजह है कि देश में सत्ता पा कर पैसा बनाना और धन के बल पर सत्ता पाने का दुष्ट चक्र स्थापित हो बैठा और देश का विकास ठप हो गया।
 मतदाताओं में जागृति न होने से या तो शराब की बोतल अथवा दो-पॉंच सौ रुपयों के एवज में ऐसे गुण्डे भ्रष्टाचारियों को विधान सभा या लोक सभा में जाने का रास्ता मतदाता स्वयं ही बना देते हैं। मतदाताओं को भारत माता की सौगन्ध खा कर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखों करोडों शहीदों की क़ुर्बानी का स्मरण कर प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि पक्ष-पार्टियों ने इन भ्रष्टाचारी, गुण्डों, लुटेरों को चुनावी टिकट भले ही दिया हो, हमतो इन्हें हरगिज़ अपना वोट नहीं देंगे। अपना वोट तो केवल चरित्रवान्व्यक्ति को ही देंगे। मतदाता यदि ऐसा पक्का निर्धार कर लेंगे तो लोक शाही के पवित्र मन्दिर में केवल पवित्र जन ही जा पाएंगे, भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू के जाने पर रोक लग जाएगी। महात्मा गांधी कहा करते थे कि यदि देश को बदलना है तो गॉंव को बदलना होगा। और बिना गॉंव की अर्थ व्यवस्था को बदले देश की अर्थव्यवस्था नहीं बदल सकती। पक्ष-पार्टी के समूहों ने गॉंव-गॉंव में अपने समर्थकों के दल बना कर लोगों के बीच झगडों के बीज बो दिये हैं। इन्हीं झगडों की वजह से गॉंवों की विकास प्रक्रिया ही रुक गई। कुछ अपवाद ज़रूर हैं मगर आमतौर पर ऐसा कोई भी गॉंव नहीं दिखाई देता जहॉं पक्ष-पार्टी की गुटबन्दी न हों और गाव मे पक्ष और पार्टी के झगडे नही है। इस कारण देश में हर गांव का विकास रुक गया है।
इस देश की युवशक्ति राष्ट्रशक्ति है। युवा शक्ति यदि जागृत हो जाए तो समाज व देश का भविष्य उज्वल बनने में देर नहीं लगेगी। लेकिन हर महाविद्यालय के छात्रों में घुसपैठ कर अपने अपने गुट बना कर उन में भी इन पक्ष-पार्टियों ने इसी युवाशक्ती के बीच झगडे लगा दिये हैं। युवा शक्ति का रुख़ जो कि राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होना था उसे झगडों में उलझा कर रख दिया गया है।
 अपनी पार्टी को चुनावी लाभ दिलाने हेतु पक्ष-पार्टी समूहों ने देश में जात-पॉंत और धर्म के नामपर ज़हर बोया है। नतीजतन लोग उन्हीं झगडों में उलझ कर रह गये। हॉं यदि संविधान के अनुसार लोगों का प्रत्याशी निजी तौर पर चुना जाता तो जात-पॉंत के झगडे होते ही क्यों?
 यों भी देखा जाता है कि एंजीनियरींग, मेडीकल, डेंटल आदि कॉलेजेस कई सारे पक्ष-पार्टी समूह ने आपस में मिल बॉंट लिये हैं। धन दौलत कमाने की ये दूकानें बन बैठी हैं। उच्च शिक्षा पाना ग़रीबों के लिए दुष्कर हो गया है। जनता के प्रत्याशी यदि चुन कर गये होते तो हरगिज़ ऐसा तो नहीं हो सकता था। बोफोर्स, टू जी स्पैक्ट्रम, आदर्श सोसाइटी, हैलीकॉप्टर, कोयला घोटालों जैसे करोडों के घपले केवल पक्ष-पार्टी समूह के कारण ही हो पाए हैं। जो विकास कामे करनी है, जैसे रो बनवाना है, ब्रिज बनवाना है। ऐसे करोडो रुपयों के कामयह पक्ष और पार्टी के समुह में बटवारा होता है।
यह सब बदल सकता है और उस बदलाव की चाभी सिर्फ और सिर्फ मतदाताओं के हाथ में है। ज़रूरी है कि हर मतदाता अपना मतदान का अधिकार अवश्य निभाएं, साथ ही सौगन्ध खा कर निर्धार करें कि किसी भी प्रलोभन को वश न होते हुए मैं मेरा मत केवल और केवल चरित्रवान्व्यक्ति को ही दूंगा, भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू को हरगिज़ नहीं दूंगा, भले ही वह किसी भी पार्टी विशेष का क्यों न हो। केवल निजि तौर पर चुनाव लड रहे जनता के प्रत्याशी को ही मैं अपना वोट दूंगा।
ऐसी प्रतिज्ञा पर हर कोई मत दाता यदि मत दान करेगा तो आगामी पॉंच या दस वर्षों में एक दिन ऐसा भी आएगा कि पक्ष-पार्टी तन्त्र इस देश में से नष्ट हो जाएगा और लोगों का, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाया गया लोक तन्त्र देश में क़ायमहोगा, बलशाली भारत का सपना साकार होगा। यह कामसन्‌ 2014 के चुनावों में शायद न भी हो पाएगा, क्यों कि हर मत दाता के दिमाग में पक्ष-पार्टी गहरे में जा बैठी है। इतनी जल्द उसको निकाल पाना मुश्किल है। घरों में भाई भाई अलग-अलग पार्टियों में बँट कर रह गये हैं। ऐसी स्थिति में पक्ष-पार्टी तन्त्र को हटा पाना आसान नहीं है। लेकिन पॉंच दस वर्षों के अथक प्रयास करने पर यदि मत दाता जागृत हो पाये तो यक़ीनन वे ही पक्ष-पार्टी तन्त्र को नकार देंगे। कुछ लोग यूं भी सोचते हैं कि यदि पक्ष-पार्टियॉं नहीं होंगी तो देश का कारोबार कैसे चल पाएगा? ऐसा लगना भी स्वाभाविक ही है क्यों कि 66 वर्षों की आदत जो पडी है। वे लोग जान लें कि जैसे आज की स्थिति में पक्ष-पार्टी के प्रतिनिधि चुन कर संसद में जाते हैं, और जो कुछ क्रिया कलाप संसद में चलता है, ठीक वैसे ही क्रिया कलाप जनता द्वारा निर्वाचित पक्ष-पार्टी विरहित जन प्रतिनिधियों के द्वारा भी सम्पन्न होंगे। वे ही सभापति चुनेंगे, वे ही प्रधान मन्त्री तय करेंगे। यदि सर्वानुमति नहीं बन पाई तो लोकतान्त्रिक तरीक़े से मत दान द्वारा बहुमत का फैसला होगा और सही मायने में वही सच्चा लोक तन्त्र होगा। देश के हर हिस्सो मे लोकशिक्षा, लोकजागृती और लोकसंघटन बनाने के लिए राष्ट्रीय स्थर पर एक संघटन खडा हो रहा है। 2014 के चुनाव के बाद संघटन के नामजाहीर किये जाऐंगे। हर राज्यों में जिला स्तर, पर तहसिल स्तर पर चारित्र्यशिल लोगोंका संघटन करके उन्होंने जनता में जागृती लानी है। 2019 तक कितनी सफलता मिलती है इसका अंदाज आ जाएगा। अन्यथा 2024 में दस साल के बाद कुछ हद तक पक्ष और पार्टीतंत्र को नेस्तनाबूत करने में और सफलता मिल सकती है। अन्यथा आगे भी देश में जनतंत्र लाने में लगातार प्रयास करना होगा। 1947 के आजादी के लिए शहीद भगतसिंग, राजगुरु, सुखदेव जैसे लाखो शहीदोंने कुर्बानी दि थी। अब बलिदान की जरुरत नही पडेगी लेकिन लोकतंत्र आने केलिए समय जरुर लगेगा। इस में आजादी की दुसरी लडाई समझकर बडी संख्या में शामिल हो जाऐ। भवदीय।


किबातथा अण्णा हजारे
संपर्क के लिए पताः
भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास
मु.पो.राळेगण सिद्धी, ता. पारनेर,
जि. अहमदनगर, महाराष्ट्र 414302
फोन. 02488-240401, 240581.


Political parties are responsible for rising corruption, bullying, terrorism & adultery in our country......

‘Second war of Independence’, in the country, for the rule of people, by the people & for the people by peoples participation’.

After 66 years of Independence, some political parties are responsible  for rising corruption, bullying, terrorism & adultery in our country......

Indian Constitution does not  mention any party and parties. Constitution states that, every Indian citizen  after 18 years of age, can contest election individually. Constitution does not mention any group.
         From 1857 to 1947 freedom fighters like Shaheed Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, and such lakhs of patriots have sacrificed their lives to throw away tyrannical rule of British & to bring democracy in our country which is through people’s participation.
         In 1947 British left our country but Democracy never came in our country. Party & parties never allowed Democracy  to come in our country.

“Democracy didn't come,  what happened?”

In 1947 British went away, we gained Independence but the rule of the people never came. In 1949 our Constitution was ready, but it does not mention any party & parties names. Constitution states that citizens of good characters should contest the elections & the citizens should elect such citizens of goodcharacter & send them to Parliament.
On 26 Jan 1950 India becameRepublic. Citizens bécame the possessor of this nation. The day when India bécame Republic, the party&partiess hould have been dismissed, but this did not happen. Mahatma Gandhi had appealed Congress leaders to dismiss the party & according to Constitution the citizens of good carácter should contest the election & citizens should elect individuals of good carácter & send them to Parliament.
In 1952 country faced first  General  Election. Party & Parties were not  dismissed. But these Parties unconstitutionally  contested the Elections & by unconstitutional ways the groups  of parties entered Parliament. Inside parliament & outside also the groups of Parties were formed & to gain power & wealth, they started blaming eac h other.
Such group of party & parties didnot allow the Democracy to come in our country, which is run for the people through people’s participation. Notonly this these parties have vanquished the Democracy, & today every where we find emergence of rule of party & parties. Democracy which is run by people through people’s  participation has vanished from our country.
Loksabha should have been of the  people,in reality. According to Constitution any individual citizen could contest election, & citizens by electing

such citizens of good character, &if such individuals of good carácter were sent to the Parliament thent his could have been the session of people.
Today Loksabha has not remained an association of people but an association of parties. Today máximum people sitting in Parliament are of such party & parties & not the representatives of people. How can we say that this is a rule of people?
As party & parties have contested elections unconstitutionally & formed groups inside & outside Parliament corruption, bullying, terrorism, adultery, loot has increased in our country. The elected representatives of people formed groups inside & outside the Parliament, which gave rise to monster of Corruption.
According to constitution if people of good carácter were elected to parliament then the monster of corruption which we see today, would not have rose.
Many a times to gain power, these parties are fighting inside & outside the Parliament. This is blackening our Democracy.
These groups of parties are opting every posible means to gain power, wealth & in this way the competition has increased. Some parties allot tickets to many candidates, who are corrupt, hooligans, looters, adulterous, so that by bullying voters they gain huge number of votes. Many parties, through power of Money & group of people get these people elected. And these corrupt, hooligans, looters, adulterous people enter the sacred temple of Democracy. Power through Money & Money through power, this cycle has begun in our country, which has put breaks to development  of our country.
As there is no awakening amongst voters therefore these hooligans, corrupt, people lure voters for a bottle of wine & 200 to 500 rupees, which paves a way for them to enter Vidhansabha & Loksabha by votes of these  people.
The voters should take an oath by remembering the sacrifice made by Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, and lakhs of people & take a pledge that though these parties have given tickets  to corrupt, hooligans, looters, adulterous people, I shall not vote them. I shall vote only people of good character. If voters take such decision, then the holy  temple of Democracy, would see only holy people entering it & we can stop  the corrupt, hooligan, looters from entering Vidhansabha & Loksabha.
Mahatma Gandhi  used to say, to change country, villaje needs to be changed. Unless village economy is changed, countries economy won’t change.
Today these parties have formed groups in every village & encouraged disputes among  them. This has blocked the progress of villages. There are some exceptios, but we see almost all villages have groups supported by these parties & all are fighting among themselves.
‘Power of youth is the power of this nation, in our country’. If this power of youth awakens, then prosperity of this society & nation is not too far. But today these parties have formed groups in to everycollege & encouraged quarrels among students. The power which is to be diverted towards development of nation is diverted to fightin amongst themselves, because of  these parties & their groups.
These parties & their groups have sown the seed of casteism to gain votes. Therefore we see different castes fighting with each other. As per Constitution, if individual person would have got elected then there won’t have been rise in fights among castes. Today we see different parties & groups have distributed amongst themselves colleges of Engineering, Medical, and Dental etc. And togain wealth they have started  these shops. Due to this higher education has gone out of reach of a common man. If common citizen would have got elected this would not have happened. Bofors, 2-G Spectrum, Adarsh society, Helicopter scam, Coal scam, and such scams worth crores of rupees have happened because of parties & their groups. The developmental Works such as construction of roads & bridges etc, which requires crores Rupees, are distributed amongst party & parties.
All this can be changed, the key to this is in thehands of voters. The voters must exercise their Right to Vote. And alsotake a pledge that, without taking any bribe, would vote the candidates of good carácter & not the corrupt, hooligan, adulterous and looters.
I shall not vote for any parties corrupt, hooligan, looters, and adulterous candidates. I shall vote only for individual, candidate of people, who is of good character. 
If every citizen takes this pledge, then, one day will come when there will be Democracy, rule of people through people’s participation &party & parties system would vanquish from our country  & the dream of powerful nationwould come true. In 2014 elections this won’t happen as party & parties are deeply rooted in the minds of every voter. They won’t  come out so easily. In one house two brothers  are of two parties. In such situation, to vanquish the system of party is not so easy process. I believe that if voters  are awakened, then, if not in five years, in ten years, these party & parties’ system would be vanquished.
Some people feel that, how can country  run if party & parties are not there? It’s natural  to feel in such a way, because of habit of 66 years but today the same process which is performed by the elected members  in Parliament, of these parties, same would  be performed by the non-party members. They would elect the Speaker, Prime Minister. If they do not reach consensus, then they  would adopt democratic way of voting, take the decisión by majority, that would be a real Democracy.
There is one organisation coming-up at national level, to educate people, awaken people, from every corner of the country. After 2014 General Elections the name will be made public. In every state at every district level, taluka level, the organisations are to set –up of people with good charácter to awaken people. We would get an idea of success  by 2019. Else by 2024, after 10 years, we would get some success in demolishing the party & parties system. Otherwise we have to continuously make an efforts to bring rule of people. To gain Independence , in 1947, Shahid Bhagat Singh, Rajguru, Sukhdeo & Such lakhs of freedom fighters had sacrificed their lives. But today such sacrifice is not necessary but to bring rule of people, time will be required.
 Consider this as a ‘Second war of Independence’ & join it in large number.

                                                                          
K.B. Alias Anna Hazare   

Address for Correspondence :

“Bhrashtachar Virodhi Jan Aandolan Nyas”,
At/po- Ralegan Siddhi, Tal- Parner, Dist- Ahmednagar,
Maharashtra – 434302.
Ph. 02488-240401, 240581.

देशातील वाढत्या भ्रष्टाचार, गुंडगिरी, लूट, दहशतवादादास राजकीय पक्ष जबाबदार...

स्वातंत्र्याच्या 66 वर्षात देशात लोकांची लोकांनी लोक सहभागातून चालविलेली लोकशाही आली नाही. त्यासाठी जनतेला स्वातंत्र्याची दुसरी लढाई समजून ती लढावी लागणार...
     स्वातंत्र्याच्या 66 वर्षानंतर ही देशात भ्रष्टाचार, गुंडगिरी, लूट, दहशतवाद वाढतो आहे
याला काही पक्ष आणि पार्ट्या जबाबदार आहेत.
          
      भारताच्या घटनेमध्ये पक्ष आणि पार्ट्यांचे नावच नाही. घटनेमध्ये म्हटले आहे भारतामधील कोणताही नागरीक ज्याचे वय 18 वर्ष पुर्ण झाले आहे असा नागरीक वैयक्तीक निवडणूक लढवू शकतो. संविधानात पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाने निवडणूका लढवावी असे कुठेही म्हटलेले नाही, जाणकार अभ्यासु माणसांनी ते तपासून पहावे. 1857 पासुन 1947 पर्यंत नव्वद वर्षे स्वातंत्र्याची लढाई चालत राहिली. शहिद भगतसिंग, सुखदेव, राजगुरु सारख्या लाखो शहिदांनी या स्वातंत्र्यासाठी बलिदान केले त्यांचे स्वप्न होते की, इंग्रजांना या देशातुन घालवायचे आणि देशात लोकांची, लोकांनी लोकसहभागातुन चालविलेली लोकशाही आणायची.
     1947 साली इंग्रज आपल्या देशातुन गेला मात्र लोकशाही यायला हवी होती, ती लोकशाही देशात आली नाही. पक्ष आणि पार्टीशाहीने लोकशाहीला देशात येऊच दिले नाही. 1947 साली जुलमी इंग्रज गेला आणि देशाला स्वातंत्र्य मिळाले. मात्र स्वातंत्र्याच्या 66 वर्षानंतर ही प्रश्न उभा आहे की, कुणाला मिळाल स्वातंत्र्य? जनतेला काय स्वातंत्र्य मिळाल? इंग्रजांप्रमाणे तीच लुट, तीच गुंडगिरी, तीच दहशत, तोच भ्रष्टाचार, व्यभीचार. इंग्रजांनी 150 वर्षात या देशाला लुटल नसेल त्यापेक्षा अधिक लुट आमचीच माणस पक्ष आणि पार्ट्यांच्या माध्यमातुन करीत आहेत. 1947 साली स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतर 1949 साली आमची घटना तयार झाली. त्या घटनेमध्ये पक्ष आणि पार्ट्यांचे नाव कुठेही आलेल नाही. लोकतांत्रिक गणराज्याचा विचार झाला आहे. भारतात राहणारा 18 वर्ष वय झालेला कोणताही नागरीक निवडणूका लढऊ शकतो, अस घटनेने म्हटले आहे. पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाचा उल्लेख नाही. 26 जानेवारी 1950 साली देशात प्रजासत्ताक दिन साजरा झाला. प्रजा या देशाची मालक झाली. ज्या दिवशी जनता या देशाची मालक झाली त्याच दिवशी देशातील सर्व पक्ष आणि पाटर्या बरखास्त व्हायला हव्या होत्या. महात्मा गांधीजींनी कॉंग्रेस वाल्यांना सांगितले होते कि, देशात लोकशाही आली, जनता देशाची मालक झाली, आता पक्ष आणि पार्ट्यांची आवश्यकता नाही म्हणुन काँग्रेस पार्टी बरखास्त करा. आता भारतामधील कोणताही नागरीक निवडणूका लढऊ शकेल. जनतेने अशा चारित्र्यशील उमेदवारालाच निवडूण संसदेमध्ये पाठवायला हवे. मात्र 1952 मध्ये देशात पहिली निवडणूक जाहीर झाली. पक्ष आणि पार्ट्यां बरखास्त तर झाल्या नाहीत मात्र पक्ष आणि पार्ट्यांनी घटनाबाह्य निवडणूका जाहीर केल्या. त्या वेळेच्या निवडणूक आयोगाने पक्ष आणि पार्ट्यांना निवडणूकी पासुन रोखणे आवश्यक होते. मात्र तसे झाले नाही आणि घटनाबाह्य निवडणूका होऊन पक्ष आणि पार्ट्यांचे काही उमेदवार निवडूण आले. 1952 पासुन आजपर्यंत देशामध्ये घटनाबाह्य निवडणूका होत आहेत. अशा पक्ष आणि पार्ट्यांच्या निवडणूका मुळे संसदेमध्ये आणि संसदेच्या बाहेर ही ताकदवार गट तयार झाले. त्यामुळे संसदेमध्ये आणि संसदेच्या बाहेर ही पक्ष आणि पार्ट्यांची गुंडगिरी वाढत गेली, लुट वाढत गेली, भ्रष्टाचार वाढत गेला, महागाई वाढत गेली. 1857 ते 1947 ज्या लाखो शहीदांनी देशात लोकशाही आणण्याच स्वप्न पाहिल होत ते त्यांच स्वप्न या काही पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाने धुळीला मिळविले. स्वातंत्र्याच्या 66 वर्षात त्या लोकशाहीला पक्ष आणि पार्टी शाहीनी नेस्तनाबूत करुन टाकल आहे. कुठे आहे ती लोकांची लोकांनी लोकसहभागातुन चालविलेली लोकशाही
      ज्या संसदेत आम्ही लोकसभा म्हणतो म्हणजे ती लोकांची सभा असायला हवी होती. वैयक्तीक उमेदवाराला जनतेने निवडूण पाठविले असते. तर ती खर्या अर्थाने लोकसभा झाली असती. मात्र आज त्या सभेमध्ये पक्ष आणि पार्ट्यांचे उमेदवार गेल्यामुळे ती पक्ष आणि पार्ट्यांची सभा झालेली आहे. ती लोकांची सभा राहिलेली नाही. संसद पक्ष आणि पार्ट्यांची झाल्याने प्रत्येक पक्ष आणि पार्ट्यां मध्ये सत्ता स्पर्धा सुरु झाल्या. येन केन प्रकारे निवडूण यायचे एवढेच ध्येय धोरण असल्याने बर्याच पक्ष आणि पार्ट्यां गुंड, भ्रष्टाचारी, लुटारु, व्यभीचारी अशा लोकांना ही निवडणूकीचे तिकिट देऊ लागल्या त्यामुळे विधानसभा, लोकसभा सारख्या लोकशाहीच्या पवित्र मंदिरामध्ये गुंड, भ्रष्टाचारी, लुटारु, शिरु लागले. आज काही पक्ष आणि पार्ट्या सत्तेमधुन पैसा आणि पैशामधुन सत्ता या भोवतीच पिंगा घालताना दिसतात. पक्ष आणि पार्ट्यांनी सत्ता आणि पैशांच्या अभिलेखा पायी भ्रष्टाचारी, गुंड, लुटारु उमेदवाराला तिकीट देऊन चुक केली असली तरी ती चुक दुरुस्त करण्याची चावी मतदारांच्या हातात आहे. मतदारांनी भारत मातेची शपथ घेऊन प्रतिज्ञा करायला हवी की पक्ष आणि पार्ट्यांनी जरी भ्रष्टाचारी, गुंड, लुटारु उमेदवाराला तिकिट दिले असले तरी मी अशा उमेदवाराला माझे मत देणार नाही. जो पक्ष आणि पार्टी विरहीत जनतेचा उमेदवार उभा आहे अशाच उमेदवाराला मी माझे मत देईल. मतदारांनी अशी प्रतिज्ञा केली तर भ्रष्टाचारी, गुंड, लुटारु उमेदवार संसदेमध्ये जाणार नाहीत. पक्ष आणि पार्ट्यांचे समूह संसदेमध्ये आणि संसदेच्या बाहेर ही झाल्याने संसदेमध्ये आणि बाहेर ही मारामार्या भांडणे होताना दिसतात. जनतेचा वैयक्तीक उमेदवार संसदेत गेला असता तर संसदेमध्ये मारामार्या झाल्या नसत्या. संसदेमध्ये भ्रष्टाचारी, गुंड, लुटारु लोक गेल्यामुळेच देशात भ्रष्टाचार वाढत गेला कारण भ्रष्टाचाराला आळा घालाणारे सशक्त कायदे करायला हवे होते ते होत नाहीत. महात्मा गांधी म्हणत होत देश बदलण्यासाठी गावांचा विकास होणे आवश्यक आहे. मात्र आज देशातील प्रत्येक गावात पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाने आप आपल्या पक्ष आणि पार्ट्यांचे गट तयार झाल्याने गावा गावात भांडणे सुरु होऊन विकास कामांना खिळ बसली आहे. खेड्यांचा विकास ठप्प झालेला आहे. युवाशक्ती ही आमच्या देशाची राष्ट्रशक्ती आहे. ती राष्ट्रीय कार्याकडे वळविली तर समाज आणि देशाचे उज्वल भवितव्य दुर नाही. मात्र आज महाविद्यालयीन युवकामध्ये पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाने युवकामध्ये गट निर्माण करुन आप आपसात भांडणे लावून दिल्यामुळे युवाशक्ती जी राष्ट्रीय विकासाकडे वळवायला हवी होती ती शक्ती आप आपापसातील भांडणांकडे वळविली गेली. देशामध्ये जाती-पाती, धर्म, वंश यांचे विष या पक्ष आणि पार्ट्यांनी पेरले आहे. त्यामुळे देशात आप आपसात जाती पातीचे भांडणे होत आहेत. आज जनतेचा पैसा मेडिकल, इंजिनियरींग, लॉ सारख्या शिक्षणावर खर्च होत आहे. ही सर्व महाविद्यालये पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाने आप आपसात वाटून घेतले आहेत आणि दुकाने लावून बसली आहेत. लाखो रुपये डोनेशन घेऊन प्रवेश दिला जातो. यामुळे गरीब माणूस उच्चशिक्ष़ा कशी घेणार?
        बोफर्स, टू जी स्पेक्टम, आदर्श सोसायटी, हेलिकॅप्टर घोटाळे, कोळसा घोटळा सारखे कोट्यावधी रुपयांचे घोटाळे झाले याला कारण पक्ष आणि पार्ट्यांचे समूहामुळे झाले आहेत. जनतेचा चारित्र्यशिल माणूस निवडूण संसदेमध्ये गेला असते तर अशा प्रकारचे घोटाळे झाले नसते. देशामध्ये विकास कामांचे जे ठेके दिले जातात ते मोठ्या प्रमाणावर या पक्ष आणि पार्ट्यांच्या समूहाला दिले जातात. त्यामुळे कोट्यावधी रुपयांचे घोटाळे होतात. या सर्वामध्ये जनतेने ठरविले तर जनता बदल घडवून आ़णू शकते कारण बदल घडवून आणण्याची चावी देशातील मतदारांच्या हातात आहे. मतदारांनी आपल्या मतदानाचा हकक आवश्य बजवायला हवा. मात्र मतदारांनी भारत मातेची शपथ घेऊन प्रतिज्ञा करायला हवी की मी कोणतीही लाच न घेता मी माझे मत फक्त चारित्र्यशील माणसालाच देईल. भ्रष्टाचारी, गुंड, लुटारु अशा उमेदवारालाा मी माझे मत देणार नाही. अशी प्रतिज्ञा करुन मतदारांनी मतदान केले तर पुढील पाच वर्षात किंवा दहा वर्षात या देशातील पक्ष आणि पार्टीतंत्र नेस्तनाबूत होऊन देशात लोकांची, लोकांनी लोकसहभागातून चालविलेली लोकशाही येऊ शकेल. बलशाली भारताचे स्वप्न साकार होऊ शकेल. 2014 च्या निवडणूकीमध्ये होणे शक्य होणार नाही. कारण पक्ष आणि पार्ट्या प्रत्येक मतदारांच्या डोक्याक फिट बसले आहे. दोन सख्खे भाऊ दोन पार्ट्यांचे आहेत. अलीकडे तर बाप आणि मुलगा वेगवेगळ्या पार्ट्यांचे आहेत. अशा अवस्थेत पक्ष आणि पार्टीतंत्र नेस्तनाबूत होणे सोपे नाही. मात्र पुढील पाच वर्ष, दहा वर्ष, बारा वर्ष काही कार्यकर्त्यांनी देशभर लोकशिक्षण, लोकजागृतीचे कार्य केले तर एक दिवस येईल की पक्ष आणि पार्टीतंत्र नेस्तनाबूत होऊन या देशात लोकशाही येईल. जोपर्यंत लोकशाही येणार नाही तो पर्यंत ज्यांनी बलिदान केले त्यांचे स्वप्न पुर्ण होणार नाही. स्वातंत्र्याची दुसरी लढाई समजुन 23 मार्च 2014 रोजी आम्ही शहिद भगतसिंग, राजगुरु, सुखदेव यांना फासी देण्यात आली त्या हुसेनीवाला, फिरोजपुर येथील समाधी येथे 500 तरुण एकत्र येऊन प्रतिज्ञा केली आहे की, देशात लोकशाही यावी यासाठी तुम्ही जे बलिदान केले ते तुमचे स्वप्न पुर्ण करण्याचा आम्हा प्रयत्न करत राहू त्यासाठी आम्हाला बलिदान करावे लागले तर ते आम्ही करु. देशाच्या प्रत्येक राज्यात लोकशिक्षण,                  लोकजागृती त्यातून लोकसंघटन उभे करण्यासाठी राष्ट्रीय स्थरावर एक संघटन उभे करण्याचा प्रयत्न करण्याचे देशातील काही लोकांनी एकत्र येवून ठरविले आहे. 2014 च्या निवडणूकी नंतर आम्ही त्या संघटनेचे नाव जाहीर करु. देशातील सहाशे जिल्ह्यात हे संघटन उभे करण्याचा प्रयत्न होणार असून 2 ते 3 वर्षात कन्याकुमारी ते काश्मीर एक पदयात्रा काढण्याचा विचार झालेला आहे. 2019 पर्यंत किती सफलता मिळते हे पाहून 2024 पर्यंत पुन्हा प्रयत्न करत राहाणार आहे. कोणताही पक्ष आणि पार्टीचा विचार नाही. फक्त जनतेने उभे केलेले चारित्र्यशील उमेदवार जे पक्ष आणि पार्टी विरहीत आहेत अशा जनतेच्या उमेदवारांना संसदेमध्ये कशे पाठविता येईल जेणेकरुन देशात लोकशाही, जी लोकांची, लोकांनी लोक सहभागातून चालविलेली शाही आणता येईल एवढाच प्रयत्न रहाणार आहे. स्वातंत्र्याची दुसरी लढाई समजून या चळवळी मध्ये कोणताही अपेक्षा न ठेवता चारित्र्यशील लोकांनी सहभागी व्हावे
आपला, 

कि.बा.तथा अण्णा हजारे 

पत्र व्यवहाराचा पत्ताः
भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास
मु.पो.राळेगण सिद्धी, ता. पारनेर,
जि. अहमदनगर, महाराष्ट्र 414302
फोन. 02488-240401, 240581.



Sunday 16 March 2014

भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी को पक्ष-पार्टिया जिम्मेदार...।

स्वाधीनता के 66 वर्षों में देश में पनप रहे भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी, लूट, आतंकवाद, 
व्यभिचार को बढावा देने की ज़िम्मेदार पक्ष-पार्टियॉं ही हैं।

भारतके संविधान में कहीं पर भी पक्ष-पार्टी का नामोल्लेख नहीं है। जैसा कि संविधान में बताया गया है, उस अनुसार भारत का वासी हर कोई नागरिक चुनाव लडने के काबिल है। संविधान में कहीं पर भी समूह का ज़िक्र नहीं किया गया है। 
सन्‌ 1857 से ले कर सन्‌ 1947 तक के नब्बे वर्षों के संघर्ष भरे काल खण्ड में शहीद भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु जैसे अनगिनत देश भक्तों ने ज़ुल्मी अंग्रेज़ों को इस देश से खदेड कर स्वाधीनता लाने हेतु तथा इस देश में लोगों का, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाया हुआ लोक तन्त्र क़ायमकरने हेतु अपने प्राणों का बलिदान किया।

अंग्रेज़ तो सन्‌ 1947 में यहॉं से चले गये मगर लोक तन्त्र नहीं आ पाया। बल्कि यूं कहिये कि पक्ष-पार्टी तन्त्र ने लोक तन्त्र को इस देश में आने ही नहीं दिया। लोक तन्त्र यहॉं पर नहीं आ पावे इस लिये क्या क्या हुआ?

 सन्‌ 1947 में अंग्रेज़ गये और स्वाधीनता मिली, देश आज़ाद हुआ। सन्‌ 1949 में हमारा संविधान बन गया। उस संविधान में कहीं पर भी पक्ष-पार्टी के बारे में उल्लेख नहीं है। अच्छे चरित्रवान्‌ नागरिक चुनाव हेतु आगे आएं और ऐसे चरित्रवान्‌ प्रत्याशी को चुन कर जनता उसे संसद में भेजें ऐसा हमारे संविधान का प्रावधान है। 26 जनवरी 1950को देश में प्रजा की सत्ता कायमहुई। जनता इस देश की मालिक बनी। उसी दिन देश के सभी पक्ष-पार्टियों को बर्खास्त हो जाना चाहिए था। महात्मा गांधी जी ने कॉंग्रेस जनों से अपील भी की कि कॉंग्रेस पार्टी को बर्खास्त कर देना चाहिये। संविधान के मुताबिक चरित्रवान्‌ नागरिकों को चुनावी मैदान के रास्ते से चुन कर संसद में भेजने का दायित्व जनता का था। सन्‌ 1952 में देश में पहली बार चुनाव हुए। पक्ष और पार्टियों का बर्खास्त होना तो दूर, उलटे पक्ष-पार्टियों ने गैर संवैधानिक तरीके से चुनाव लडे और गैर संवैधानिक पद्धति से पक्ष-पार्टियों के समूह संसद में जा बैठे। संसद के भीतर और बाहर भी पक्ष-पार्टियों के ताक़तवर समूह बनते रहे। सत्ता और सम्पत्ति की लालसा में एक दूजे पर आरोप प्रत्यारोप करने का सिलसिला कायमहुआ। पक्ष-पार्टियों के इन ताक़तवर समूहों ने लोगों के, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाये हुए लोक तन्त्र को देश में पनपने ही नहीं दिया। न केवल पनपने ही नहीं दिया बल्कि पक्ष-पार्टियों के इन समूहों ने लोक तन्त्र को नेस्तो नाबूद कर दिया। यत्र तत्र सर्वत्र आज पक्ष और पार्टी शाही का बोल बाला है। लोगों के, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाये हुए लोक तन्त्र का अस्तित्व ही नहीं रहा। लोक सभा वास्तव में देखा जाय तो लोगों की होनी चाहिए। संविधान में बताये गये तरीके से कोई भी भारत वासी व्यक्ति अपने निजी तौर पर यदि चुनाव लडता और यदि जनता ऐसे चरित्रवान्‌ प्रत्याशी को चुन कर संसद में भेजती और ऐसे व्यक्तिगत तौर पर चुने गये प्रतिनिधि संसद में होते तो सम्भवत: वह सभा लोक सभा कहलाने के लायक हुई होती। वहीं पर आज की लोक सभा बजाय लोगों के, पक्ष-पार्टियों की सभा बन कर रह गई है। अधिकांश सांसद लोगों का नहीं बल्कि पक्ष और पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। गैर संवैधानिक तरीक़े से पक्ष-पार्टियों ने चुनाव लडने के कारण संसद के भीतर और बाहर भी कई सारे समूह बन गये जिसके फलस्वरूप देश में भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी, लूटख़सोट, आतंक वाद को बढावा मिला। संवैधानिक तरीक़े से यदि चरित्रवान्‌ व्यक्ति अगर चुन कर गये होते तो जिस क़दर आज सर्वव्यापी बन गया है, यक़ीनन भ्रष्टाचार नहीं बढ पाता। केवल सत्ता की अभिलाषा के कारण इन समूहों में संसद में और संसद के बाहर भी भिडन्त होती दिखती है। ऐसे दृष्य लोक शाही की गरिमा को कलंकितकरते हैं। येन केन प्रकारेण सत्ता को हासिल करने के लिए पक्ष-पार्टियों में होड सी लग गई है। पक्ष-पार्टियों के कई सारे समूह भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू, व्यभिचारियों को टिकट देते हैं क्यों कि गुण्डागर्दी के कारण उनका अपना वोट बैंक बना होता है। ऐसे दाग़ियों को समूह की ताक़त और धन शक्ति के बल पर पक्ष-पार्टियॉं चुनाव जितवाती हैं और इन भ्रष्टाचारियों का, गुण्डों का, लुटारुओं का लोक शाही के पवित्र पावन मन्दिर में जाने का मार्ग प्रशस्त कराती हैं। यही वजह है कि देश में सत्ता पा कर पैसा बनाना और धन के बल पर सत्ता पाने का दुष्ट चक्र स्थापित हो बैठा और देश का विकास ठप हो गया।

 मतदाताओं में जागृति न होने से या तो शराब की बोतल अथवा दो-पॉंच सौ रुपयों के एवज में ऐसे गुण्डे भ्रष्टाचारियों को विधान सभा या लोक सभा में जाने का रास्ता मतदाता स्वयं ही बना देते हैं। मतदाताओं को भारत माता की सौगन्ध खा कर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे लाखों करोडों शहीदों की क़ुर्बानी का स्मरण कर प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि पक्ष-पार्टियों ने इन भ्रष्टाचारी, गुण्डों, लुटेरों को चुनावी टिकट भले ही दिया हो, हमतो इन्हें हरगिज़ अपना वोट नहीं देंगे। अपना वोट तो केवल चरित्रवान्‌ व्यक्ति को ही देंगे। मतदाता यदि ऐसा पक्का निर्धार कर लेंगे तो लोक शाही के पवित्र मन्दिर में केवल पवित्र जन ही जा पाएंगे, भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू के जाने पर रोक लग जाएगी। महात्मा गांधी कहा करते थे कि यदि देश को बदलना है तो गॉंव को बदलना होगा। और बिना गॉंव की अर्थ व्यवस्था को बदले देश की अर्थव्यवस्था नहीं बदल सकती। पक्ष-पार्टी के समूहों ने गॉंव-गॉंव में अपने समर्थकों के दल बना कर लोगों के बीच झगडों के बीज बो दिये हैं। इन्हीं झगडों की वजह से गॉंवों की विकास प्रक्रिया ही रुक गई। कुछ अपवाद ज़रूर हैं मगर आमतौर पर ऐसा कोई भी गॉंव नहीं दिखाई देता जहॉं पक्ष-पार्टी की गुटबन्दी न हों। इस देश की राष्ट्र शक्ति युवा शक्ति है। युवा शक्ति यदि जागृत हो जाए तो समाज व देश का भविष्य उज्वल बनने में देर नहीं लगेगी। लेकिन हर महाविद्यालय के छात्रों में घुसपैठ कर अपने अपने गुट बना कर उन में भी इन पक्ष-पार्टियों ने इसी युवाशक्ती के बीच झगडे लगा दिये हैं। युवा शक्ति का रुख़ जो कि राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होना था उसे झगडों में उलझा कर रख दिया गया है।
 अपनी पार्टी को चुनावी लाभ दिलाने हेतु पक्ष-पार्टी समूहों ने देश में जात-पॉंत और धर्म के नामपर ज़हर बोया है। नतीजतन लोग उन्हीं झगडों में उलझ कर रह गये। हॉं यदि संविधान के अनुसार लोगों का प्रत्याशी निजी तौर पर चुना जाता तो जात-पॉंत के झगडे होते ही क्यों?

यों भी देखा जाता है कि एंजीनियरींग, मेडीकल, डेंटल आदि कॉलेजेस कई सारे पक्ष-पार्टी समूह ने आपस में मिल बॉंट लिये हैं। धन दौलत कमाने की ये दूकानें बन बैठी हैं। उच्च शिक्षा पाना ग़रीबों के लिए दुष्कर हो गया है। जनता के प्रत्याशी यदि चुन कर गये होते तो हरगिज़ ऐसा तो नहीं हो सकता था। बोफोर्स, टू जी स्पैक्ट्रम, आदर्श सोसाइटी, हैलीकॉप्टर, कोयला घोटालों जैसे करोडों के घपले केवल पक्ष-पार्टी समूह के कारण ही हो पाए हैं। यह सब बदल सकता है और उस बदलाव की चाभी सिर्फ और सिर्फ मतदाताओं के हाथ में है। ज़रूरी है कि हर मतदाता अपना मतदान का अधिकार अवश्य निभाएं, साथ ही सौगन्ध खा कर निर्धार करें कि किसी भी प्रलोभन को वश न होते हुए मैं मेरा मत केवल और केवल चरित्रवान्‌ व्यक्ति को ही दूंगा, भ्रष्टाचारी, गुण्डे, लुटारू को हरगिज़ नहीं दूंगा, भले ही वह किसी भी पार्टी विशेष का क्यों न हो। केवल निजि तौर पर चुनाव लड रहे जनता के प्रत्याशी को ही मैं अपना वोट दूंगा।
  
ऐसी प्रतिज्ञा पर हर कोई मत दाता यदि मत दान करेगा तो आगामी पॉंच या दस वर्षों में एक दिन ऐसा भी आएगा कि पक्ष-पार्टी तन्त्र इस देश में से नष्ट हो जाएगा और लोगों का, लोगों द्वारा, लोक सहभाग से चलाया गया लोक तन्त्र देश में क़ायमहोगा, बलशाली भारत का सपना साकार होगा। यह कामसन्‌ 2014 के चुनावों में शायद न भी हो पाएगा, क्यों कि हर मत दाता के दिमाग में पक्ष-पार्टी गहरे में जा बैठी है। इतनी जल्द उसको निकाल पाना मुश्किल है। घरों में भाई भाई अलग-अलग पार्टियों में बँट कर रह गये हैं। ऐसी स्थिति में पक्ष-पार्टी तन्त्र को हटा पाना आसान नहीं है। लेकिन पॉंच दस वर्षों के अथक प्रयास करने पर यदि मत दाता जागृत हो पाये तो यक़ीनन वे ही पक्ष-पार्टी तन्त्र को नकार देंगे। कुछ लोग यूं भी सोचते हैं कि यदि पक्ष-पार्टियॉं नहीं होंगी तो देश का कारोबार कैसे चल पाएगा? ऐसा लगना भी स्वाभाविक ही है क्यों कि 66 वर्षों की आदत जो पडी है। वे लोग जान लें कि जैसे आज की स्थिति में पक्ष-पार्टी के प्रतिनिधि चुन कर संसद में जाते हैं, और जो कुछ क्रिया कलाप संसद में चलता है, ठीक वैसे ही क्रिया कलाप जनता द्वारा निर्वाचित पक्ष-पार्टी विरहित जन प्रतिनिधियों के द्वारा भी सम्पन्न होंगे। वे ही सभापति चुनेंगे, वे ही प्रधान मन्त्री तय करेंगे। यदि सर्वानुमति नहीं बन पाई तो लोकतान्त्रिक तरीक़े से मत दान द्वारा बहुमत का फैसला होगा और सही मायने में वही सच्चा लोक तन्त्र होगा।


कि. बा. तथा अण्णा हजारे
16 मार्च 2014.

“Democracy didn't not come, what happened?”

After 66 years of Independence, some political parties are responsible for rising corruption, bullying, terrorism & adultery in our country

               Indian Constitution does not mention any party and parties. Constitution states that any citizen residing in India can contest election individually. Constitution does not mention any group.
         From 1857 to 1947 freedom fighters like Shaheed Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, and such lakhs of patriots have sacrificed their lives to throw away tyrannical rule of British & to bring democracy in our country which is through people’s participation.
         In 1947 British left our country but Democracy never came in our country. Party & parties never allowed Democracy to come in our country.

“Democracy didn't not come,  what happened?”

In 1947 British went away, we gained independence. In 1949 our Constitution was ready, but it does not mention any party & parties names. Constitution states that citizens of good character should contest the elections & the citizens should elect such citizens of good character & send them to Parliament.
On 26 Jan 1950 India became Republic. Citizens became the possessor of this nation. The day when India became Republic, the party & parties should have been dismissed, but this did not happen. Mahatma Gandhi had appealed Congress leaders to dismiss the party & according to Constitution the citizens of good character should contest the election & citizens should elect individuals of good character & send them to Parliament. In 1952 country faced first General Election. Party & Parties were not dismissed. But these Parties unconstitutionally contested the Elections & by unconstitutional ways the groups of parties entered Parliament. Inside parliament & outside also the groups of Parties were formed & to gain power & wealth, they started blaming each other.
Such group of party & parties did not allow the Democracy to come in our country, which is run for people through people’s participation. Not only this these parties have vanquished the Democracy, & today everywhere we find emergence of rule of party & parties. Democracy which is run by people through people’s participation has vanished.
Loksabha should have been of people. According to Constitution any individual citizen could contest election, & citizens by electing such citizens of good character, & if such individuals of good character were sent to the Parliament then this could have been the session of people.
Today it has not remained an association of people but association of parties. Today maximum people sitting in Parliament are of such party & parties.
As party & parties have contested elections unconstitutionally & formed groups inside & outside Parliament corruption, bullying, terrorism, adultery, loot has increased in our country.
According to constitution if people of good character were elected to parliament then the monster of corruption which we see today, would not have rose.
Many a times to gain power, these parties are fighting inside & outside the Parliament. This is blackening our Democracy.
These parties are opting every possible means to gain power, wealth & in this way the competition has increased. Some parties allot tickets to candidates who are corrupt, hooligans, looters, adulterous, so that by bullying voters they gain huge number of votes. Parties, through power of money & group of people get these people elected. And these corrupt, hooligans, looters, adulterous people enter the sacred temple of Democracy. Power through money & money through power, this cycle has begun in our country, which has put breaks to development of our country.
As there is no awakening amongst voters therefore these hooligans, corrupt, people lure voters for a bottle of wine & 200 to 500 rupees, which paves a way for them to enter Vidhansabha & Loksabha by votes of these people.
The voters should take an oath by remembering the sacrifice made by Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, and lakhs of people & take a pledge that though these parties have given tickets to corrupt, hooligans, looters, adulterous people, I shall not vote them. I shall vote only people of good character. If voters take such decision, then the holy temple of Democracy, would see only holy people entering it & we can stop the corrupt, hooligan, looters  from entering Vidhansabha & Loksabha.
Mahatma Gandhi used to say, to change country, village needs to be changed. Unless village economy is changed, countries economy won’t change. Today these parties have formed groups in every village & encouraged disputes among them. This has blocked the progress of villages. Almost all villages have groups supported by these parties.
Power of youth is the power of this nation. If this power of youth awakens, then prosperity of this society & nation is not too far. But today these parties have formed groups into every college & encouraged quarrels amongst them. The power which is to be diverted towards development of nation is diverted to fighting amongst themselves, because of these parties & their groups.
These parties & their groups have sown the seed of casteism to gain votes. Therefore we see different castes fighting with each other. As per Constitution, if individual person would have got elected then there won’t have been rise in fights among castes. Today we see different parties & groups have distributed amongst themselves colleges of Engineering, Medical, and Dental etc. And to gain wealth they have started these shops. Due to this higher education has gone out of reach of a common man. If common citizen would have got elected this would not have happened. Bofors, 2-G Spectrum, Adarsh society, Helicopter scam, Coal scam, and such scams worth crores of rupees have happened because of parties & their groups.
To bring change in this, the key is in the hands of voters. The voters must exercise their Right to Vote. And also take a pledge that, without taking any bribe, would vote the candidates of good character & not the corrupt, hooligan, adulterous and looters.
I shall not vote for any parties corrupt, hooligan, looters, and adulterous candidates. I shall vote only for individual, candidate of people, who is of good character. 
If every citizen takes this pledge, then, one day will come when there will be Democracy, rule of people through people’s participation & party & parties system would vanquish from our country & the dream of powerful nation would come true. In 2014 elections this won’t happen as party & parties are deeply rooted in the minds of every voter. They won’t come out so easily. In one house two brothers are of two parties. In such situation, to vanquish the system of party is not so easy process. I believe that if voters are awakened, then, if not in five years, in ten years, these party & parties’ system would be vanquished.
Some people feel that, how can country run if party & parties are not there? It’s natural to feel in such a way, because of habit of 66 years but today the same process which is performed by the elected members in Parliament, of these parties, same would be performed by the non-party members. They would elect the Speaker, Prime Minister. If they do not reach consensus, then they would adopt democratic way of voting, take the decision by majority, that would be a real Democracy.
 
                                                                          
  K. B. Alias Anna Hazare    
  16 March 2014.